जेल में बंद महिलाएं लगातार हो रहीं गर्भवती: 196 बच्चे ले चुके हैं जन्म; महिला कारागार में पुरुषों के प्रवेश पर प्रतिबंध की सिफारिश; हाई कोर्ट में रिट दाखिल होने के बाद खुला मामला।

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यह खबर पश्चिम बंगाल की जेलों में महिला कैदियों की दुर्दशा और उनके सामने आ रही गंभीर समस्याओं को उजागर करती है। यह मामला न केवल महिला कैदियों की सुरक्षा और गरिमा के प्रति चिंताओं को बढ़ाता है, बल्कि जेल प्रणाली में मौजूदा सुरक्षा और निगरानी तंत्रों की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठाता है।

कलकत्ता हाई कोर्ट में प्रस्तुत रिपोर्ट के अनुसार, जेलों में रहते हुए महिला कैदियों के गर्भवती होने की घटनाएं और इसके परिणामस्वरूप जेलों में पैदा हुए 196 बच्चे, गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन की ओर इशारा करते हैं। इस तरह की घटनाएँ न केवल महिलाओं के प्रति हिंसा के मुद्दों को दर्शाती हैं, बल्कि जेल परिसरों में उनकी सुरक्षा और संरक्षण के लिए उपयुक्त उपायों की अनुपस्थिति को भी उजागर करती हैं।

एमिकस क्यूरी द्वारा किए गए अनुरोध, जिसमें उन्होंने सुधार गृहों में तैनात पुरुष कर्मचारियों के महिला कैदियों के बाड़ों के अंदर प्रवेश पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने की गुजारिश की, यह सुरक्षा उपायों में सुधार और महिला कैदियों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने की आवश्यकता को दर्शाता है।

पश्चिम बंगाल सुधार सेवाओं के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी द्वारा दी गई प्रतिक्रिया, जिसमें उन्होंने जेलों में महिलाओं के गर्भवती होने के मामलों से अनभिज्ञता व्यक्त की, संचार और निगरानी में स्पष्ट कमियों को इंगित करता है। इस तरह की घटनाओं की जानकारी का अभाव और उन पर उचित प्रतिक्रिया न देना, जेल प्रशासन और संबंधित अधिकारियों द्वारा जिम्मेदारी की कमी को दर्शाता है।

जेलों में रह रहे बच्चों की स्थिति भी चिंताजनक है। छह साल से कम उम्र के बच्चों को अपनी मां के साथ जेल में रहने की अनुमति देने का प्रावधान, यद्यपि सहानुभूतिपूर्ण है, लेकिन इससे उठने वाले मुद्दे, जैसे कि बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा, और समग्र विकास, गहन विचार-विमर्श और कार्रवाई की मांग करते हैं।

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इस मामले में हाई कोर्ट का निर्णय और आगे की कार्रवाई न केवल पश्चिम बंगाल की जेलों में सुधार के लिए मार्गदर्शक होगी, बल्कि यह भारत की जेल प्रणाली में महिला कैदियों के अधिकारों और सुरक्षा को मजबूती प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में कार्य कर सकता है। इस मुद्दे का समाधान खोजने में न्यायिक पहल, सरकारी नीतियों का संशोधन, और समाज के सभी वर्गों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।

Umesh Dhiman
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Umesh Dhiman is a seasoned journalist and writer for Digihindnews.com. Specializing in crime and trending news, Umesh has a keen eye for detail and a passion for delivering stories that resonate with his readers. With years of experience in the field, he brings a unique blend of investigative acumen and narrative flair to the table. For inquiries or to share news tips, reach out to him at [email protected]. Away from the newsroom, Umesh enjoys delving into books and exploring new locales. Stay updated with his latest pieces and follow Umesh for a deep dive into the most pressing and intriguing news of the day.

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